गीत(मनभावन सावन)
गीत(मनभावन सावन)
हरियाली से भू सुरभित है,
इस सावन के आने से।
वन-उपवन भी हुए सुगंधित,
विविध पुष्प खिल जाने से।।
इस सावन के आने से।।
सावन होता मनभावन है,
मन में खुशियाँ भर देता।
घिरा मेघ से नील गगन भी,
मन की पीड़ा हर लेता।
अब की सावन हुआ रँगीला,
पास पिया को पाने से।।
इस सावन के आने से।।
साजन बिन तो सावन सूना,
प्यास न बुझती तन-मन की।
रिम-झिम,रिम-झिम बरसें बूँदें,
घटे न ज्वाला विरहन की।
हुआ दिव्यतम यह सावन अब,
प्रिय के प्यार लुटाने से।।
इस सावन के आने से।।
सावन तो आता-जाता है,
अपना असर दिखाता है।
पानी की टप-टप बूँदों से,
विरहन-मन तरसाता है।
लेकिन इच्छा पूरी होती,
रूठा सजन मनाने से।।
इस सावन के आने से।।
बहुत दिनों के बाद मिला है,
ऐसा प्यारा सावन, सखि!
कह न सकूँ सुख मिला बहुत ही,
साजन के घर आवन, सखि!
बातें होंगी खट्टी-मीठी,
भूलें नहीं भुलाने से।।
इस सावन के आने से।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Abhilasha Deshpande
22-Jun-2023 03:21 PM
Nice
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Sachin dev
14-Jun-2023 10:45 PM
Nice
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Gunjan Kamal
14-Jun-2023 06:51 AM
👏👌
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